टीवी पर आजकल 'महाभारत' दिखाया जा रहा है. पहले भी देखा है पर रामायण की तरह यह कथा भी इतनी अनोखी है कि बार-बार देखने पर भी नई जैसी लगती है. कहते हैं जो महाभारत में नहीं है वह कहीं नहीं है अर्थात इस दुनिया में जो कुछ भी है उसका जिक्र कहीं न कहीं महाभारत में हो चुका है. एक लाख से अधिक श्लोकों के द्वारा चन्द्रवंशी राजाओं की यह कथा भारत के भव्य इतिहास को भी बताती है और विश्व का प्रथम महाकाव्य होने का गौरव भी रखती है. इसे पंचम वेद भी कहते हैं और पुराण भी कहा जाता है. वेद व्यास ने इस अद्भुत ग्रन्थ को लिखवाने का कार्य गणपति को सौंपा था. भगवद्गीता महाभारत का ही एक भाग है, जो भारत का प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ है. वर्तमान पीढ़ी को इसे मूल रूप में पढ़ने का अवसर तो नहीं मिलेगा पर धारावाहिक के रूप में ही वे इससे परिचित हो रहे हैं और अपनी प्राचीन गौरवशाली परंपरा पर गर्व कर रहे हैं. इसके विभिन्न पात्रों पर कितने ही नाटकों व उपन्यासों की रचना हो चुकी है. भारत के कण-कण में इन प्राचीन गाथाओं की गन्ध बसी है. मानव मन की कितनी ही गाँठों को खोलती हैं इसकी कथाएं. कोरोना के कारण घरों में रहने को विवश नागरिकों के लिए अपने अतीत से परिचित होने का यह एक सुअवसर भी है.
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05 -5 -2020 ) को "कर दिया क्या आपने" (चर्चा अंक 3692) पर भी होगी,nआप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी !
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 5 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
Deleteसही कहा
ReplyDeleteसार्थक... आदरणीया दीदी जी.
ReplyDeleteसादर
स्वागत व आभार !
Deleteइस तरह की धारावाहिक प्रस्तुतियों में इस बात का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए कि वेद व्यास की मूल कथावस्तु से कोई छेड़छाड़ न हो।
ReplyDeleteसही कहा है आपने, आभार !
Deleteयुवा होती पीढी सार्थक संदेश को निहित मर्म को संस्कार एवं मूल्यों से कुछ अंश भी आत्मसात कर पाये तो समाज की दशा में कुछ परिवर्तन अवश्य दृष्टिगत होंगे।
ReplyDeleteसादर।
अवश्य, यदि उन्हें अपने पूर्वजों के जीवन से कुछ सीखने को मिले तो समाज के लिए अति उत्तम है, स्वागत व आभार श्वेता जी !
Deleteआदरणीया अनीता जी, आपने महाभारत के माहात्म्य को सरल शब्दों में व्यक्त किया है। सचमुच महाभारत की कथा में जो नहीं है वह कहीं नहीं है। समाज की हर मान्यता को चुनौती भी दी गयी है और सत्य को स्थापित भी किया गया है। अद्भुत महाकाव्य है यह !--ब्रजेन्द्र नाथ
ReplyDeleteसच कुछ तो अच्छा छुपा होता है संकट की घड़ियों में भी
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति