शिव हमारी आत्मा है, शिव का नंदी मानो हमारा शरीर है. शिव
मन्दिर में प्रवेश करना हो तो पहले नंदी का दर्शन होता है, जिसका मुंह शिव की तरफ
है पर मध्य में कछुआ है अर्थात अपनी इन्द्रियों को अंतर्मुख करके ही हम आत्मा तक
पहुंच सकते हैं. मन्दिर का द्वार छोटा है सो झुक कर ही जाना होगा. शिव तत्व वह है
जो पांचों भूतों में ओतप्रोत है, जो तीनों अवस्थाओं में व्याप्त है, जाग्रत,
स्वप्न तथा सुषुप्ति का वह साक्षी है, तीनों से परे भी है. एक बार जो उसका अनुभव
कर लेता है, निरंतर उसकी प्रतीति भीतर होती रहती है.
सुंदर विचार शिव ही सुंदर है सत्य है शाश्वत है।
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