Wednesday, September 13, 2017

विस्मय से जब मन भर जाये

१३ सितम्बर २०१७ 
जीवन में कदम-कदम पर हमें कितनी ही आश्चर्यजनक स्थितियों का अनुभव होता है पर ज्यादातर हम उनका कोई न कोई उत्तर खोज कर मन को शांत कर देते हैं. विज्ञान के द्वारा जगत के कार्यकलापों का कारण खोजने लगते हैं. एक ऐसा आश्चर्य जिसका कोई निराकरण न हो सके विस्मय कहलाता है, और गहराई से देखें तो इस जगत का एक नन्हा सा रेत का कण भी मन को विस्मय से भर देने के लिए पर्याप्त है. हमारी देह की एक कोशिका भी अपने भीतर कितने रहस्य छिपाए है. विज्ञान के जवाब हमें भ्रमित करते हैं, ऐसा लगता है हम इसके बारे में सब जान सकते हैं. नींद भी एक रहस्य है और स्वप्न भी. चारों तरफ जैसे एक तिलिस्म छाया है. विस्मय से भरा मन ही फिर उस अज्ञात के सामने झुक जाता है. वह भी जैसे उस रहस्य का ही एक भाग बन जाता है.

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