१५ सितम्बर २०१७
यह काल संक्रमण का काल है.
मूल्य बदल रहे हैं, संस्कृतियाँ और सभ्यताएं बदल रही हैं. देशों की सीमाएं बदल रही
हैं. विश्व की उन्नति का आधार आर्थिक विकास माना जाने लगा है. व्यापारिक संबंध बढ़
रहे हैं, देश निकट आ रहे हैं. किन्तु इस सबके साथ मानव को विकास की बड़ी कीमत भी
चुकानी पड़ रही है. एक पीढ़ी पहले तक भी एक व्यक्ति को परिवार का सहयोग और प्रेम सहज
ही मिल जाता था, जिसके कारण उसके भीतर मानवीय मूल्यों की स्थापना घर से ही आरम्भ
हो जाती थी और विद्यालय उसमें विस्तार करता था. आज एकल परिवार होने के कारण बच्चे
उस स्नेह और विश्वास से वंचित हैं, स्कूल भी इस कमी को पूरा नहीं कर पा रहा है. आये
दिन स्कूलों में होने वाले हादसे अभिभावकों और बच्चों में एक भय की भावना भर रहे
हैं. यदि मानव अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर ले, लोभ और दिखावे पर नियन्त्रण रखे.
ध्यान और योग को अपना कर सुख के अविनाशी स्रोत को अपने भीतर ही खोज ले तो स्वतः ही
उसकी यह अंधी दौड़ समाप्त हो जाएगी.
Nice Post
ReplyDeleteBahut he ache Anmol Vachan