८ सितम्बर २०१७
जीवन कितना पुराना है कोई नहीं बता सकता, वैज्ञानिकों को मानव के लाखों वर्ष
पुराने जीवाष्म भी मिले हैं. हम न जाने
कितनी बार इस धरती पर आये हैं और भिन्न देहें धारण करके सुख-दुःख का भोग कर चुके
हैं. शास्त्र कहते हैं यह देह हमें दो कारणों के लिए मिली है भोग और मोक्ष, पहला
अनुभव तो हो चुका, जब तक दूसरा नहीं होगा, बार-बार देह लेकर आना होगा और मृत्यु को
प्राप्त होना होगा. यदि त्याग पूर्वक भोग किया जाये तो मुक्ति का अनुभव इसी जन्म
में हो सकता है. मानव जीवन के चार पुरुषार्थ भी यही कहते हैं. धर्म, अर्थ, काम और
मोक्ष का कर्म कहता है कि धर्म पूर्वक प्राप्त किया गया अर्थ ही कामनाओं के त्याग
का हेतु बनता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यदि धन अनीति से प्राप्त किया गया
है वह कामनाओं को बढ़ाने वाला ही होगा. उस स्थिति में दुखों से मुक्ति सम्भव ही
नहीं है.
स्वागत व आभार प्रतिभाजी !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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