२४ अप्रैल २०१८
आज विश्व पुस्तक दिवस है. किताबों के बिना जीवन कैसा होता, इसकी कल्पना भी दुरूह
है. बचपन से ही किताबें मानव की साथी बन जाती हैं. पढ़ना तो दूर शिशु जब बोलना भी
नहीं जानता, किताबों को उलटता-पलटता है और जब कोई उसे पढ़कर सुनाता है तो तिलिस्म
जैसी एक दुनिया उसके सामने खुलती जाती है. बाल कविताओं और कहानियों की किताबें
उसके सामने एक ऐसी दुनिया का चित्रण करती हैं जिसे उसने अभी देखा नहीं है पर जिसके
बारे में जानने की इच्छा सदा से उसके मन में थी. एक व्यक्ति के मानसिक धरातल पर
उसके संगी वे पात्र भी होते हैं जिनसे किसी पुस्तक में उसकी भेंट हुई थी. विश्व के
कितने महान लेखक हैं, जैसे शेक्सपीयर, गोर्की, टालस्टाय, चेखव, विक्टर ह्यूगो,
प्रेमचन्द, अज्ञेय, दिनकर, महादेवी वर्मा और ऐसे ही कई अन्य अनगिनत लेखक व
लेखिकाएं, जिनके नाम दुनिया के हर कोने में जाने जाते हैं, जिन्होंने लाखों
व्यक्तियों के हृदयों को किसी न किसी रूप में छुआ है. हम कौन सी किताबें पढ़ते हैं
इसके द्वारा ही यह पता चल सकता है कि हमारा कितना मानसिक विकास हुआ है. विश्व
पुस्तक दिवस पर उन तमाम लेखकों को सादर नमन जिनकी पुस्तकें पढ़कर मन आह्लादित हुआ
है, किसी न किसी रूप में लाभान्वित हुआ है.
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