Sunday, April 8, 2018

रंगमंच ही है यह दुनिया


उपनिषद और ब्रह्मसूत्र जो कहते हैं, वही सत्य पुराणों में बखान किया गया है. कहानियों और आख्यानों के माध्यम से सत्य को रोचक और मनहर बनाकर प्रस्तुत करने से वह सहज ही ग्राह्य हो गया है. जगत मिथ्या है, ब्रह्म सत्य है, यह बात रामायण द्वारा भी समझायी गयी है और महाभारत द्वारा भी. राम जब लीला करते हैं तो यही सन्देश दे रहे हैं कि हमें जीवन को सहजतापूर्ण ढंग से जीना सीखना है, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, इसलिए नाटक की तरह अपनी भूमिका निभाकर जगत से अछूते निकल जाना है. जो जितना अच्छा अभिनय करेगा उसका जीवन उतना ही  रसपूर्ण होगा, और जो जगत को सत्य मानकर हर बात को दिल पर रख लेगा, उसका जीवन भार हो जाएगा। मन यदि दर्पण की तरह हो जिसपर किसी भी घटना का चित्र तो बने पर छाप न पड़े तो हमारा हर पल नया होगा और हर दिन एक कहानी की तरह जीवन अपने पन्ने खोलता हुआ मिलेगा। 

2 comments:

  1. जीवन को नए पन्‍ने खोलने का अहसास इतनी सहजता से बता दिया आपने अनीता जी

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  2. स्वागत व आभार अलकनन्दा जी !

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