१३ अक्तूबर २०१८
जैसे अग्नि में दाहिका शक्ति अभिन्न रूप से स्थित है, वैसे ही
परमात्मा और उसकी प्रकृति रूपा शक्ति भी अभिन्न है. नवरात्रि में हम शक्ति की
आराधना करते हैं, जो चैतन्य स्वरूप परमात्मा की चिति शक्ति ही है. इसलिए योगीजन परमात्मा
और प्रकृति में भेद नहीं करते बल्कि सब ब्रह्म है ऐसा ही देखते हैं. धी, श्री,
कांति, क्षमा, शांति, श्रद्धा, मेधा धृति और स्मृति ये सभी शक्ति के ही नाम हैं. सत्व
स्वरूप महालक्ष्मी धन-धान्य की अधिष्ठात्री हैं. भगवती सरस्वती वाणी, बुद्धि, ज्ञान
एवं विद्या की प्रदाता हैं. वे मानवों को कवित्व शक्ति, मेधा, प्रतिभा और स्मृति
प्रदान करती हैं. देवी दुर्गा शिवप्रिया हैं जो बल व शक्ति प्रदान करती हैं. वे
महामाया हैं, जगत की सृष्टि करना उनका स्वभाव है. नवरात्रि का पावन पर्व इन
शक्तियों के जागरण से परमात्मा की अनुभूति कराने वाला है.
सही बात। पर लाउडस्पीकर पूजाओं का क्या करें?
ReplyDeleteअपने कान में रुई डाल लीजिये अथवा उनके साथ शामिल हो जाइये..
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