३ अक्तूबर २०१८
ईश्वर सत्य है, शिव है और सुंदर है, हम सबने यह सुना है. सत्य का
जो अर्थ शास्त्र बताते हैं, वह है - जो सदा है और एक सा है, वही सत्य है. जो पुष्प
आज सुंदर है, कल मुरझा जायेगा, उसका सौन्दर्य क्षणिक है, अतः वह सत्य नहीं है. जो
अस्तित्त्व उसे सत्ता दे रहा है, उसमें सौन्दर्य भर रहा है, वह कल भी रहेगा, किसी
और फूल को खिलायेगा, वही सत्य है. शिव का अर्थ है, निराकार कल्याणमयी सत्ता. जो
होकर भी नहीं जैसा है, उसकी सुन्दरता कभी घट नहीं सकती. उसकी सुन्दरता को महसूस
करना हो तो ध्यान में उतरना पड़ेगा. बुद्ध या महावीर के चेहरे पर जो शांत सौन्दर्य
दिखाई पड़ता है, वह उसी एकरस निराकार सत्ता का है. योग का अंतिम लक्ष्य उसी शांति को
स्वयं के भीतर अनुभव करना है.
https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/10/blog-post_3.html
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रश्मिप्रभा जी !
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