४ अक्तूबर २०१८
भारत के प्रधानमन्त्री माननीय मोदी जी को चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ
पुरस्कार मिला है, हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा हुआ है. ‘यथा राजा तथा प्रजा’
के सूत्र के अनुसार हम सभी इस धरती का रक्षक बनने की क्षमता रखते हैं. हम यदि अपने
समय और ऊर्जा का अल्प भाग भी अपने वातावरण के प्रति सजग होकर लगायें तो देखते ही
देखते भारत भी विकसित देशों की तरह अपनी स्वच्छता पर गर्व कर सकता है. अवश्य ही
बाधाएँ आएँगी किन्तु उन्हें दूर करने की हिम्मत भी साथ ही आएगी. समस्या-समाधान भी रात-दिन
की तरह जोड़े में ही रहते हैं. इससे आने वाली पीढ़ी भी बचपन से ही इस भाव से संस्कारित
होगी. यदि हम छोटा सा ही सही एक बगीचा लगायें, या गमलों में ही कुछ पौधे उगायें.
हफ्ते में एक बार अपनी गली और मोहल्ले की सफाई में भाग लें. आस-पड़ोस के बच्चों को
इकठ्ठा करके उन्हें स्वच्छ रहने के लाभ बताएं और इस विषय पर चित्र आदि बनवाएं,
कितने ही उपाय हैं जिनके द्वारा हम लघु अंश में ही सही धरती माँ का ऋण उतार सकते
हैं.
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