३० अक्तूबर २०१८
दीपावली का उत्सव दस्तक दे रहा है. राम के अयोध्या लौटने की ख़ुशी
में लाखों वर्ष पूर्व जो दीपक जलाये गये थे, मानो आज भी वे अपने प्रकाश को बाँट
रहे हैं. प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है, ख़ुशी और जागरण का भी. राम का अर्थ है रोम-रोम
में रमन करने वाला चैतन्य, जब उसका आगमन भीतर होता है, ज्ञान का प्रकाश छा ही जाता
है. अयोध्या का अर्थ है जहाँ कोई युद्ध न लड़ा जाता हो. जिस मन में कोई द्वंद्व न
बचा हो, जो मन समाहित हो गया हो, जहाँ अपना ही विरोधी स्वर न गूँजता हो, ऐसा मन ही
अयोध्या है, जहाँ राम का आगमन होता है. दशरथ का अर्थ है दस इन्द्रियों वाला अर्थात
देह, जब देहाध्यास छूट गया हो, तभी चैतन्य का अनुभव होता है. दीपावली का उत्सव
यानि मिष्ठानों और पटाखों का उत्सव. चेतना जब शुद्ध होती है तब उससे मधुरता का
सृजन होता है, आनंद का विस्फोट होता है, वही जो बाहर अनार व फुलझड़ी जलाने पर होता
है. भारतीय संस्कृति में हर उत्सव के पीछे एक संदेश छुपा है. हमारे शास्त्रों का
मुख्य स्वर है आत्मअनुभव, इसीलिए हर उत्सव अपने भीतर जाने की प्रेरणा देता प्रतीत
होता है.
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