Monday, October 1, 2018

बापू का पैगाम सुनें

१ अक्तूबर २०१८  
कल दो अक्तूबर है, महात्मा गाँधी की एक सौ उनचासवीं जयंती ! आज समय-समय पर पढ़े उनके संदेश याद आ रहे हैं. उनकी बातें एक सूत्र के रूप में कितना गहरा अर्थ छुपाये होती थीं. उनके चेहरे पर पोपले मुख की मुस्कान इसकी साक्षी है जब वह कहते थे, हंसी मन की गांठे बड़ी आसानी से खोल देती है  जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है । उनका जीवन सत्य पर किया गया एक प्रयोग है, जिससे उन्होंने जाना कि क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है । उन्हें किताबों से बहुत प्रेम था. उनके अनुसार, पुस्तकें मन के लिए साबुन का काम करती है, क्योंकि वे मानते थे कि ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र निर्माण है । देह से दुबले पतले होते हुए भी बापू भीतर से निडर थे, उन्हें ब्रिटिश सरकार की हुकूमत झुका नहीं पायी, वह कहते थे, डर शरीर का रोग नहीं है यह आत्मा को मारता है । कुछ लोग कहते हैं, बापू को सौन्दर्य बोध नहीं था, पर उनके अनुसार वास्तविक सौंदर्य हृदय की पवित्रता में है । वह पेशे से वकील होते हुए भी कहते हैं, दिमाग को हमेशा दिल की सुननी चाहिए ।

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