जुलाई २००३
ईश्वर हमसे क्या चाहता है, इसका पता हमें शास्त्रों से चलता है, सदगुरु से इसका
ज्ञान होता है, हमारी चेतना हमें बताती है. हमारा मन, हमारा तन भी बताता है. हम
जिस क्षण ईश्वर के मार्ग पर चलते हैं, उसका कहा मानते हैं, उसकी इच्छा को सर्वोपरि
मानते हैं, शांति और सुख हमारे भीतर जगते हैं, और जिस क्षण हम उससे दूर हो जाते
हैं, असहज हो जाते हैं. सुबह से शाम तक कई बार हम असहज होते हैं, विरोध करते हैं
तो अपने मूल स्वभाव को भुला बैठते हैं. हमारा मूल वही परमात्मा है, “काहे री नलिनी
तू कुम्हलानी, तेरे ही नाल सरोवर पानी” हमारी आत्मा उसी से उपजी है और मन उसी
आत्मा रूपी सागर में उठने वाली तरंग हो तो मन क्यों कुम्हलाये ? तन भी मन के
द्वारा ही उत्पन्न हुआ है. मन का ही
प्रभाव उस पर पड़ता है तो तन क्यों रोगी हो. तन व मन तभी रोगी होते हैं जब हम अपने
सहज स्वरूप को भुला दें तथा झूठे अहंकार को ही अपना सहज स्वरूप मान लें, यह अहं
हमें कहीं नहीं पहुंचाता बल्कि उसी जगह पटखनी दिलाता है. जाल में फंसाता है. हमारी
बुद्धि सीमित है, ज्ञान थोड़ा है, अहं ज्यादा है तो हम परमात्मा के बिना एक कदम भी
कैसे चल सकते हैं. जब हम उसी का आश्रय लेते हैं, अपनी बुद्धि उसी में लगा देते
हैं, अहंकार भी करते हैं तो इसी का कि वह सांवला सलोना हमारा सखा है. फिर वह धीरे
से आकर पलकों पर छा जाता है. कभी मुस्कान फूटती है तो कभी रुलाई, उसके लिए रोना भी
कितना सुखद है, उसकी याद मन को पीड़ा देती है पर अगले ही पल एक गहरी शांति में बदल
जाती है. उसका हाथ थामे-थामे हम आगे बढ़ते जाते हैं.
बहुत बढ़िया .....आपके लेख पढ़ कर मन को शांति सी मिलती है ...आभार
ReplyDeleteउपासना जी, स्वागत व आभार !
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
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ReplyDelete!!!!!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!!!!!
!!!!!!!!!! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!!!!!!!!
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं
“काहे री नलिनी तू कुम्हलानी, तेरे ही नाल सरोवर पानी” हमारी आत्मा उसी से उपजी है और मन उसी आत्मा रूपी सागर में उठने वाली तरंग हो तो मन क्यों कुम्हलाये ?
ReplyDeleteखुबसूरत मनोभावों के लिए बधाई साथ ही उसे धार्मिक सन्दर्भ से युक्त करने के लिए प्रणाम ..
आपसे एक व्यक्तिगत सवाल श्री रामेश्वर तेली जी आपके ही क्षेत्र दुलिआजान से विधायक रहे हैं क्या आप उन्हें जानती हैं ? मैं उनके छत्तीसगढ़ से सम्बद्ध होने की पुष्टि आपसे चाहता हूँ ?
क्या उनका परिवार छ .ग . से जुड़ा है ? कृपया समय निकालकर कहें ....
रमाकांत जी, आभार, इस ब्लॉग को नियमित पढ़ने के लिये...नहीं मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है कि रामेश्वर तेली जी छतीस गढ़ से जुड़े हैं या नहीं.
Deleteधीरेन्द्र जी व रितु जी, स्वागत व आभार !
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