मार्च २००४
हम जब भी किसी को उसकी किसी
आदत के लिए टोकते हैं, तो यह भूल जाते हैं कि कई बार वही गलती हम भी कर चुके हैं.
जीसस के अनुसार क्या हमें पहले अपनी आँख का लट्ठा नहीं निकालना होगा, तभी हम दूसरे
की आँख का तिनका निकाल सकेंगे. ईश्वर ने हमारी अनेकों भूलों को क्षमा किया है,
क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है, हमें भी खुद सा बनने की प्रेरणा देकर वह हमारे मन
को स्वच्छ करता है, वह हमें अपना मित्र बनाना चाहता है, हर क्षण ऊपर उठाना चाहता
है, न जाने कितने उपायों से वह हमारी उन्नति चाहता है, करुणा, प्रेम, सत्य आदि हमारे
भीतर बीज रूप सुप्त शक्तियाँ हैं, उन्हें श्रद्धा द्वारा जगा कर हम उससे एक हो
सकते हैं.
सत्य लिखा है ...
ReplyDeleteसुंदर सीख ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST... नवगीत,
हमे पहले अपने भीतर झांकना होगा......सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पहले खुद पे लागू करो वह व्यवहार विचार जो औरों के प्रति रखते हो .
ReplyDeleteदिगम्बर जी, धीरेन्द्र जी व इमरान, आप सभी का स्वागत व आभार !
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