Tuesday, February 5, 2013

प्राणशक्ति सबल करनी है


फरवरी २००४ 
हमें यदि आत्मानुशासन का विकास करना है तो सर्वप्रथम प्राणशक्ति का विकास करना होगा. इन्द्रियों का स्वामी मन है, मन का स्वामी प्राण है, प्राणशक्ति यदि सबल नहीं है तो मन बिखरा-बिखरा सा रहेगा. संतुलित भोजन, प्राणायाम, व्यायाम, समुचित नींद तथा स्वाध्याय भी प्राणशक्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं. प्राण से आगे भाव जगत है, जिससे आगे हमारा सूक्ष्म शरीर है, उससे भी आगे सूक्ष्मतर शरीर, जहाँ हम सूक्ष्म स्पन्दनों का अनुभव करते हैं, तब मन ठहर जाता है. इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति तथा क्रिया शक्ति हमारे भीतर तभी समर्थ होती है. एक तृप्ति तथा सहजता तब जीवन का अंग बन जाती है.

9 comments:

  1. सुंदर एवं सार्थक ....
    आभार अनीता जी ...

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  2. आत्मानुशासन के लिए प्राणशक्ति मजबूत करनी होगी ,जिसे सहज भाषा में प्रण करना कहते है ,,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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    1. धीरेन्द्र जी, प्राणशक्ति तो उस ऊर्जा को कहते हैं जो जीवन चलाने के लिए हमें आवश्यक है, यानि जीवन ऊर्जा ! श्वास, भोजन, नींद और ध्यान से यह ऊर्जा हमें मिलती है.

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  3. प्राणशक्ति सबल करने के लिए हमे प्रण करना ही पड़ेगा,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  4. ये राह ही मंजिल तक चली जाती है........बहुत ज्ञानमय लेख।

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  5. प्राणशक्ति सबल करने में कितना समय लग सकता है?

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    1. प्राणशक्ति के बिना तो हम एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते.नियमित प्राणायाम से इसे शीघ्र ही बढ़ाया जा सकता है.

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  6. मुझे ऐसा पूछना नहीं चाहिए लेकिन पता नहीं क्यों सबसे पहले मन में यही प्रश्न आया?

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    1. आपको जो भी कहना हो निसंकोच कहें, स्वागत है.

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