सितम्बर २००८
परमात्मा से
हमारे मिलन में सबसे बड़ा बाधक हमारा ज्ञान है. परमात्मा प्रकृति के सौन्दर्य में
झलकता है, पवित्रता में झलकता है. यह अस्तित्व जो इतना निकट है, इतना प्यारा है,
पर हम अपने तथा कथित ज्ञान के कारण उसे सराहते नहीं, उस पर न्योछावर नहीं होते. हम
जीवित हैं यही अहसास हमें परमात्मा के साथ एक कर सकता है. हम चेतन हैं, वह भी चेतन
है. हम प्रेम चाहते हैं, प्रेम करते हैं, वह भी प्रेम स्वरूप है. हम आनंद चाहते
हैं वह आनंद ही है. यह ज्ञान ही है जो सहज आनंद को भी ढक लेता है. अहंकारी बना
देता है. सौभाग्यशाली हैं वे जो अज्ञानी होने का सुख अनुभव कर लेते हैं.
बिलकुल सच कहा है..प्रभु की राह में हमारा तथाकथित ज्ञान ही सबसे बड़ी बाधा है..
ReplyDeleteकैलाश जी व वाधिया जी स्वागत व आभार !
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