११ अगस्त २०१७
समय की धारा प्रतिपल अविरत गति से आगे बढ़ती जा रही है. यह पल जो अभी-अभी उगा था
खो गया है. पलक झपकते ही पल खो जाता है. संत कहते हैं जो इस पल में जाग गया, वह
जिंदगी से उसी तरह मिल सकता है जैसे कोई प्रेम के क्षणों में अपने प्रिय से मिलता
है. जब किसी के निकट होना ही पर्याप्त होता है, उससे कुछ पाने के लिए नहीं बल्कि
उस क्षण को साथ-साथ जीने के लिए, उसी तरह समय के एक नन्हे पल के पीछे छिपे अनंत से
मिलना होता है. परमात्मा की मौजूदगी का अनुभव सदा ही एक क्षण में होगा, वह क्षण
कौन सा होगा यह कोई नहीं कह सकता पर जिसने कभी क्षण में ठहरना नहीं सीखा वह उस पल
को भी खो देगा.
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