७ अगस्त २०१७
रक्षा बंधन का अर्थ है अपनी सहज स्वीकृति और प्रेम से अन्य की रक्षा का वचन देकर उससे
बंध जाना. यह प्रेम का ऐसा अनोखा बंधन है जिसमें बाँधने वाला और बंधने वाला दोनों
स्वयं को धन्य अनुभव करते हैं. हमारे पुराणों में भी इस उत्सव का उल्लेख है, अर्थात
इसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्वप्रथम इन्द्राणी ने
अपने पति की रक्षा के लिए मन्त्रों से सिद्ध सूत्र बाँधा था. द्रौपदी ने कृष्ण को
और लक्ष्मी ने राजा बलि को भी रक्षा सूत्र बाँधा था. पहले-पहल ब्राह्मण भी अपने
यजमानों को रक्षा सूत्र बाँधते थे. एक दूसरे के सम्मान की रक्षा के लिए इस सूत्र
को बाँधा जाता था. कालांतर में यह भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया
जाने लगा. राखी का यह धागा मर्यादा का प्रतीक तो है ही, संकल्प की दृढ़ता का प्रतीक
है और साथ ही समाज में सभी की समानता और भाईचारे का प्रतीक भी है.
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