१७ अगस्त २०१७
जीवन बहुआयामी है. विविधताओं से भरा है. प्रकाश की श्वेत किरण जैसे सात रंगों से
बनी है, जीवन भी प्रेम, सुख, शांति, शक्ति, पवित्रता, आनंद और ज्ञान सप्त गुणों से
ओतप्रोत है. इन गुणों का विकास ही साधक के लिए नित्य साधना है. प्रेम ही परिवार,
समाज, राष्ट्र और विश्व को एक सूत्र में बाँधता है. सुख की तलाश विज्ञान को नई खोजें
करने की प्रेरणा देती है. शांति के वातावरण में ही संगीत आदि कलाओं का सृजन सम्भव
है. शक्तिशाली तन और मन ही बदलते हुए समय में स्वयं को स्वस्थ रख सकता है. जीवन जब
मर्यादाओं में रहकर आगे बढ़ता है तो दो तटों के मध्य बहती धारा की तरह एक पवित्रता
का निर्माण करता चलता है. यही पावनता दिव्यता को जन्म देती है जो आनंद के रूप में
मानव के भीतर प्रस्फुटित होती है. हृदय जब आनंदित हो तो सहज ही ऐसा अंतर्ज्ञान
उपजता है जिसको पाने के बाद हर समस्या का
समाधान मिलने लगता है.
bahut sunder kathan !!
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