३ अगस्त २०१७
योग के साधक को आसन व प्राणायाम के साथ-साथ यम व नियम का पालन करना नहीं भूलना
चाहिए. योग का अंतिम लक्ष्य मुक्ति की प्राप्ति है, जिसका अर्थ है सर्वदुखों से
मुक्ति. जो मन के विकारों से मुक्त हुए बिना सम्भव ही नहीं है. यम और नियम मन को
शुद्ध करने के उपाय हैं, सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य, ये पांच
यम हैं तथा शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वरप्रणिधान ये पांच नियम हैं. सत्य के
पालन करने का अर्थ है मनसा और वाचा में समता. जो मन में है वही वाणी से उजागर होने
लगे तो साधक सत्य के निकट पहुँचने लगता है. किसी की कही बात को ज्यों की त्यों कहना,
उसमें अपनी ओर से जरा भी फेर-बदल न करना, वस्तुओं, व्यक्तियों और परिस्थितयों को
जैसी वे हैं वैसा ही देखना भी सत्य व्यवहार कहा जाता है. अपने लाभ के लिए असत्य का
सहारा लेने वाला तो सत्य से बहुत दूर है.
बहुत सही ... बचपन में स्कूल रटा कबीर दास जी का दोहा याद आया -
ReplyDeleteसॉंच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै सॉंच है, ताके हिरदै आप।।
स्वागत व आभार कविता जी ! कबीर का यह दोहा कितनी सरलता से सत्य की महिमा का बखान करता है.
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