Thursday, April 16, 2020

ज्ञान का जो सम्मान करे मन


जहाँ ज्ञान का तिरस्कार होता है वहाँ सजगता खो जाती है. वास्तव में बेहोश होकर ही हम अज्ञानी हो सकते हैं. हम जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है, पर चुनते वही हैं जो हमें पसंद है, यह जानते हुए भी कि यह हमारे के लिए सही नहीं है. सन्त कहते हैं यदि हम प्रेय मार्ग को चुनेंगे तो दुःख से बचना असम्भव है, श्रेय मार्ग को चुनेंगे तो जीवन में दुःख का कोई स्थान ही नहीं रहेगा. इसका अर्थ यह नहीं है कि जीवन में कोई दुखद परिस्थिति नहीं आएगी, बल्कि हम हर स्थिति में समता में रहना सीख जायेंगे. प्रेय मार्ग हमें कमजोर बनाता है, हम केवल सुख के अभिलाषी बन जाते हैं. जरा सा दुःख हमें अपने केंद्र से विचलित कर देता है. श्रेय मार्ग का चयन हमें भीतर से दृढ़ता प्रदान करता है. इसके लिए पहला कदम है, राग-द्वेष से मुक्त होना, हम यदि जीवन को जिस रूप में वह मिलता है स्वीकार करना चुनते हैं तो एक स्थिरता भीतर प्रकट होती है.यह स्थिरता हमें सही-गलत में भेद करना सिखाती है और सही का चुनाव करने का बल देती है. श्रेय मार्ग का चयन तब सहज हो जाता है. 

3 comments:

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  2. सत्य है। ज्ञान और सजगता के परों पर ही अंतरयात्रा संभव है ।

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    1. स्वागत व आभार मीनल जी !

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