Saturday, April 11, 2020

स्वयं को जो जन सबल बनाये


धरती की आयु अरबों वर्ष की है, मानव को धरती पर आये भी लाखों वर्ष बीत गये हैं. हमारे पास मानव सभ्यता का जो ज्ञात इतिहास है उसमें अनेक महामारियों का जिक्र आता है, अर्थात यह कोई नयी बात नहीं है. आज विज्ञान का युग है इसलिए इस महामारी का असर कम हुआ है, जी, हाँ, पिछली महामारी में जो लगभग सौ वर्ष पूर्व आयी थी, उसमें करोडों जानें गयी थीं. आज हमारे पास साधन हैं और बचाव के बेहतर उपाय हैं. जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, वे ठीक भी हो रहे हैं और दुर्भाग्यवश जो बच नहीं पाए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी. अब सबसे पहली आवश्यकता है हम जो अभी तक बचे हुए हैं, स्वयं को मजबूत बनाएं. मानसिक रूप से सबल व्यक्ति की रोग से लड़ने की ताकत ज्यादा होती है. एक न एक दिन तो हमें अपने घरों से बाहर जाना ही है, और जब तक इस रोग की कोई वैक्सीन नहीं आती, इससे बचने का उपाय एक ही है कि हम सामाजिक दूरी बनाये रखें. कोरोना का वायरस हर मौसम में जिन्दा रह सकता है, सो यह कहीं चला जायेगा इसकी उम्मीद करना व्यर्थ है. हमें स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए आने वाले छह-आठ महीनों तक नाक-मुख को ढक कर ही बाहर निकलना होगा. इसी तरह बार-बार हाथ धोने की आदत तो तब तक स्वभाव में ही बदल चुकी होगी. अति आवश्यक कार्य होने पर ही हमें घर से बाहर जाना होगा. धीरे-धीरे ताला-बंदी में ढील दी जाएगी लेकिन नागरिकों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से सतर्क रहने की अपनी आदत को स्वयं ही विकसित करना होगा. 

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