अब हम अपने जीवन के इतिहास को बताने के लिए समय को दो भागों में बाँट कर कहेंगे, पहला कोरोना वायरस के आने के पहले का काल और दूसरा उसके आगमन के बाद का. उदाहरण के लिए हम कहेंगे, जब वायरस नहीं पनपा था तब हम विदेश घूमने गए थे। उन दिनों हम सब एक साथ घूमने जाते थे, घरों में सामूहिक भोज का आयोजन करते थे. वर्तमान में हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. लॉक डाउन खुलने के बाद भी हमारा जीवन पहले का सा नहीं रह जायेगा. अगले कई वर्षों तक हमें पूरी सावधानी रखनी होगी, हममें से जो भी बुजुर्ग हैं या किसी न किसी रोग से ग्रसित हैं, उन्हें तो विशेष रूप से घर पर रहने के लिए ही कहा जायेगा. बच्चे स्कूल जाने की अपेक्षा ऑन लाइन पढ़ना ज्यादा पसन्द करेंगे. पहले की तरह हम सामान्य रूप से मॉल, बाजार और प्रदर्शनियों में जाकर खरीदारी नहीं कर सकेंगे. बाहर निकलते समय मास्क पहनना सामान्य बात हो जाएगी. फ़िल्में भी सिनेमाघरों की बजाय ऑन लाइन ही रिलीज होंगी. घरों व सड़कों की सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जायेगा. मन्दिरों में अब पहले की तरह भीड़ नहीं होगी, लोग नेट पर ही दर्शन करेंगे और घरों में पूजा करेंगे. योग और ध्यान जीवन का एक अभिन्न अंग बन जायेगा. विदेश यात्रा का मोह कम हो जायेगा और छात्रों में अपने ही देश में रहकर पढ़ने को बेहतर कहेंगे. पारिवारिक मूल्य फिर से स्थापित होंगे और अनावश्यक घूमना-खरीदारी बंद हो जायेंगे. लोगों में दूसरों की मदद करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और जीवन सरल और सादा होगा.
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