Saturday, April 18, 2020

भारत पर जो नाज करेगा


हम भारत के लोग हमारे संविधान में यह पंक्ति सबसे पहले लिखी गयी है, और यही है भारत की असीम शक्ति का स्रोत ! मुझे इस बात का अनुभव् कई बार हुआ है और आज  मैं आपके साथ अपना यह अनुभव साझा कर रही हूँ. मेरा जन्मस्थान उत्तरप्रदेश में है, जीवन के आरंभिक पचीस वर्ष वहाँ के भिन्न शहरों में बीते। सरकारी नौकरी के कारण पिताजी किसी भी स्थान पर तीन या चार वर्ष से अधिक नहीं रहते थे. हर बार नए शहर में, नये घर में जाने पर हमें अपने आस-पास एक ही जैसे लोग मिले. हर जगह राम और कृष्ण की कहानियाँ कहने-सुनने वाले लोग, आपस में मिलकर होली, दीवाली आदि त्योहार मनाने वाले लोग. विवाह के बाद वर्षों असम में रहना हुआ, जहाँ पूरे भारत से आये भिन्न भाषा-भाषी लोगों से मिलने का सौभाग्य मिला. उड़िया, बंगाली, तमिल, तेलगु, कन्नड़, पंजाबी, सिख, नागा, मिजो गढ़वाली सभी प्रदेशों के लोग वहाँ एक साथ रहते हैं. सभी को आपस में जुड़ने के लिए कोई विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता. सबको जोड़ती है भारत की प्राचीन गौरवशाली संस्कृति ! भारत को एक सूत्र में बाँधा है यहां की नदियों के प्रति आस्था ने, पर्वतों पर बने देव स्थानों ने और परब्रह्म के प्रति अटूट श्रद्धा ने ! हर भारतीय सहज ही श्रद्धावान  है, उसके जीवन में व्रत का स्थान है  तभी वह अनुशासन का पालन कर सकता है. हम केवल भौतिक अस्तित्त्व को ही नहीं देखते उसके परे जो दैविक और आध्यात्मिक है उसे भी साथ लेकर चलते हैं. आपकी तरह मुझे भी भारत पर गर्व है और गर्व है हजारों वर्षों से चली आ रही इसकी अक्षुण्ण सांस्कृतिक धारा पर. आइये हम भारत के लोग मिलकर देश के इस आपद काल में अपना-अपना कर्त्तव्य निभाएं. घर में रहें और स्वस्थ रहें. 

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