उन्नीस दिनों में लिए सरकार ने लॉक डाउन की अवधि को बढ़ा दिया है. यह अभूतपूर्व काल है, पिछले सौ वर्षों के इतिहास में मानव इतनी भीषण महामारी से पहली बार जूझ रहा है. कोई इसे संकट काल कहेगा और अवसाद से घिर जायेगा, कोई इसे अनुशासन पर्व कहेगा और जीवन को उन्नत बनाएगा. समय की कमी का बहाना करके जो कार्य हम वर्षों तक टालते रहे हैं उनके आरंभ के लिए यह सुवर्ण काल है. गहन चिंतन, मनन और श्रवण के लिए एक साधक को जितना एकांत और समय चाहिए उसका प्रबन्ध प्रकृति ने इस प्रकोप के बहाने कर दिया है. कुदरत भी इस समय स्वयं को सेहतमंद कर रही है, तो हमारा भी कर्त्तव्य बनता है कि इस समय को सुंदर बनाएं. हमारा वर्तमान अतीत के कर्मों का फल है और भविष्य आज के कृत्यों का फल होगा. यदि आज मन में निराशा, हताशा या अस्वीकार की भावना प्रमुख रही तो कल भी इससे भिन्न परिणाम लेकर नहीं आएगा. जीवन तो सबको एक जैसा ही मिलता है उसे देखने वाली दृष्टि भिन्न -भिन्न होती है. आशावादी दृष्टिकोण से देखें तो हर घटना के पीछे छिपे बोध पर हमारी नजर जाएगी. घटना बाहर रहेगी और वह बोध हमें उसके असर से अछूता ही छोड़ देगा.
सरकार के सुझावों का पालन करना हर भारतवासी का धर्म हे।
ReplyDeleteसही है, स्वागत व आभार !
Deleteघर पर रहें और सुरक्षित भी ...
ReplyDeleteऔर अन्यों को सुरक्षित रखें ... स्वागत व आभार !
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