परमात्मा को जानने का क्या अर्थ है ! परमात्मा इस सृष्टि का नियन्ता है पर उसका दावा नहीं करता. वह इसका पालक है पर इसका अभिमान नहीं करता. वह इसका विनाशक है पर इसका दुःख नहीं करता. उसका भक्त क्या वही नहीं होगा जो किसी भी कृत्य का अभिमान न करे, किसी भी वस्तु पर अपना दावा न करे और किसी भी हानि पर दुःख न करे. परमात्मा के लिए सब समान हैं, वह सभी के भीतर आत्म रूप से विद्यमान है. उसका चाहने वाला भी भेदभाव से मुक्त होगा और प्रेम रूप में सबके भीतर स्वयं को पायेगा. परमात्मा सत्य है, चेतन है और आनंद स्वरूप है, उसको वही पा सकता है जो सत्य पथ का पथिक हो, जिसने अपने भीतर चेतना को बढ़ा लिया हो और जो हर स्थिति में प्रसन्न रहता हो.
ईश्वर सर्वशक्तिमान है।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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