Sunday, September 6, 2020

ॐ भूर्भुवः स्वः

 हम सभी गायत्री मन्त्र का पाठ करते हैं और उसके महत्व को स्वीकार करते हैं. कई बार सामूहिक रूप से उस गाते भी हैं. गायत्री मन्त्र  से होने वाले लाभ और प्रभाव का भी वर्णन एक-दूसरे से करते हैं.  किन्तु इसके वास्तविक अर्थ से सम्भवतः हममें से अधिक लोग परिचित नहीं हैं. अर्थ की भावना करके यदि कोई प्रार्थना की जाती है तो उसका प्रभाव मन, बुद्धि के साथ पूरे स्नायुतंत्र पर पड़ता है. ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्। ॐ परमेश्वर का एक नाम है. भू: अर्थात जो जगत का आधार, प्राणों से प्रिय व स्वयंभू है. भुवः- सब दुखों से छुड़ाने वाला. स्व: - जो सुखस्वरूप है और अपने उपासकों को भी सुख देने वाला है. तत्सवितु- वह जगत का प्रकाशक और ऐश्वर्य प्रदाता. वरेण्यम - ग्रहण करने योग्य अति श्रेष्ठ. भर्गो- सब दुखों को नष्ट करने वाला. देवस्य- कामना करने योग्य, विजय दिलाने वाला. धीमहि - धारण करें. य: जो सूर्य देव परमात्मा. न :- हमारी. धिय :- बुद्धि. प्रचोदयात- उत्तम गुण-कर्म-स्वभाव में प्रेरित करें. एक साथ यदि सम्पूर्ण मन्त्र का अर्थ देखें तो कुछ इस प्रकार होगा - जो परमेश्वर, स्वयंभू है, सबका प्रिय है, अतिश्रेष्ठ है, सब दुखों को दूर करने वाला है, वह प्रकाश रूप परमात्मा हमारी बुद्धि को सत्कर्मों की तरफ ले जाये.  


2 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-9 -2020 ) को "ॐ भूर्भुवः स्वः" (चर्चा अंक 3818) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. बहुत बहुत आभार !

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