हम सुबह से शाम तक न जाने कितनी अच्छी बातें पढ़ते और सुनते हैं. व्हाट्सएप पर ही जीवन को सुंदर बनाने के लिए संदेश भेजते और प्राप्त करते हैं, किन्तु अपने में व आस-पास अपेक्षित बदलाव नजर नहीं आता. मन सूचनाओं को एकत्र कर लेता है और सोचता है उसे आवश्यक जानकारी हो गयी. इस तरह हमें जानने का अहंकार बढ़ जाता है पर भीतर का वातावरण वैसा ही रहता है. आज ही एक सन्देश पढ़ा, “हृदय एक ऐसी मशीन है जो बिना रुके जीवन भर चलती रहती है, इसे प्रसन्न रखें, यह चाहे अपना हो या दूसरों का”. हृदय प्रसन्न रहे इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम सहजता में रहें, सबके साथ सामंजस्य बना कर समझदारी से आगे बढ़ें. किसी भी प्रकार का दुराग्रह या दूसरों का विरोध हमारे हृदय पर असर डालने ही वाला है. हृदय की गहराई में प्रेम और सहृदयता की जो भावनाएं सुप्त हैं, उन्हें जगाएं तो अन्यों के हृदयों को भी सहज ही प्रसन्न रख सकेंगे.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 23 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteउपयोगी सन्देश।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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