Friday, December 19, 2014

जब जागो तभी सवेरा

जुलाई २००७
 “जब जागें तभी सवेरा” हम सोये हुए हैं, स्वप्न ही देखकर अपना जीवन बिता रहे हैं. शास्त्र व गुरू कहते हैं हर पल सजग रहना है. मन, वचन, काया से हमसे किसी को उद्वेग न हो. यदि कभी किसी का दिल दुःख ही जाये तो प्रायश्चित करना चाहिए, जैसे हर दिन तन को स्वच्छ करते हैं वैसे ही हर रात सोने से पूर्व दिन भर की भूलों का स्मरण करके मन को धो डालना चाहिए. हर परिस्थिति में सम भाव में रहने का तप करने से भी विकार नष्ट हो जाते हैं.


1 comment:

  1. कम शब्दों में बहुत ही गहरी दार्शनिक बात कह दी इस पोस्ट में।

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