जून २००७
राम ब्रह्म हैं, वह मानव
रूप लेकर धरती पर आते हैं. हर मानव ब्रह्म की शक्तियों को लेकर ही आता है, पर वे
उसके भीतर निष्क्रिय पड़ी रह जाती हैं. हम सूक्ष्म की ओर चलें तो ये शक्तियाँ जागृत
होने लगती हैं. जीवन में वरदान घटते हैं, प्रेम पहला वरदान है जो तब घटता है जब हमारा
स्वयं से परिचय होता है, जो परिचय सद्गुरु कराते हैं. जब तक हम मन के किनारे पर
बैठे रहते हैं तब तक स्वयं से परिचय नहीं होता, एक बार जब गहरी डुबकी लग जाती है
तो आत्मा का मोती हाथ लगता है, जिससे ज्ञान, प्रेम औए आनंद का प्रकाश फूटता है.
संस्कारों से मुक्ति मिलती है, मन पावन बनता है.
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