Thursday, September 14, 2017

जन-जन की भाषा है हिंदी

१४ सितम्बर २०१७ 
आज हिंदी दिवस है. ‘हिंदी’ एक ऐसी भाषा जिसने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया हुआ है. जो अनेकता में एकता का जीता-जागता उदाहरण है. बारहवीं शतब्दी से हिंदी की धारा भारत में जन-जन के हृदयों को आप्लावित कर रही है. मध्य काल में सूर, तुलसी हों या कबीर और रहीम, हिंदी की ध्वजा सदा ही लहराती रही है. आधुनिक काल में भी हिंदी के विद्वानों की एक लम्बी श्रंखला चलती आ रही है, जिसने जन मानस के हृदयों को हिंदी-सुधा से पोषित किया है. आज सामान्य जन की बोलचाल भाषा हो या साहित्य की भाषा दोनों ही क्षेत्रों में हिंदी फल-फूल रही है, कमी है तो बस इसकी कि आजादी के सत्तर वर्षों के बाद भी इसे राजकाज की भाषा नहीं बनाया जा सका. अनुवादित व क्लिष्ट भाषा के सहारे इस कार्य को नहीं किया जा सकता. मौलिक रूप से हिंदी में ही सरल भाषा में किया गया कार्य ही सरकारी कार्यालयों में अपनाना होगा वरना वहाँ यह केवल हिंदी दिवस तक ही सिमट कर रह जाएगी.


3 comments:

  1. सही कहा। सरकारी लहजे में लिखी जाने वाली हिंदी ही हिंदी वालों को उससे दूर ले जाती है। इसक इलावा हिंदी शोध और ज्ञान की भाषा भी बन तो ज्यादा अच्छा होगा। तभी इसमें नौकरी मिलेंगी।

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    1. जी हाँ, हिंदी को शोध और विज्ञान की भाषा भी बनना होगा, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान हो या विज्ञान की अन्य कोई भी शाखा, अंग्रेजी के माध्यम से ही पढ़ाया जाता है, इसलिए बच्चे हिंदी की तरफ ध्यान ही नहीं देते. आज की पीढ़ी को हिंदी से वंचित करके हम हिंदी साहित्य की एक सुदीर्घ परंपरा से भी वंचित कर रहे हैं.
      स्वागत व आभार विकास जी !

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