Sunday, August 19, 2012

तुलसी ममता राम से


जुलाई २००३ 
तुलसी ममता राम से समता सब संसार ! इस जगत में सम भाव से रहना आ जाये तो राग, द्वेष आदि दुखद विकार मन से नष्ट हो जाते हैं. संसार का चिंतन अंतः करण की मलिनता है और भगवद् चिंतन अंत करण की शुद्धि है, पहले का परिणाम भय, दुःख ही होने वाला है और दूसरे का परिणाम मंगलकारी ही. हमारे भीतर वह परमात्मा मित्र रूप में है, जैसे दो पक्षी एक डाल पर बैठे हों. यह विचार ही हमें आनंद देता है कि वह हमारे निकटस्थ है, एक बार उसे सच्चे दिल से पुकारें तो वह झट अपनी उपस्थिति जताता है, ऐसा रस बरसता है कि हमें उसके अमृत स्वाद का अनुभव होने लगता है. बल्कि वह तो यह भी जानता है कि हम उसे पुकारने वाले हैं, हमारे विचारों को वह हमसे पहले ही जान जाता है. ऐसे रस का पान करने के लिये ही साधना का पथ सदगुरु बताते हैं, ध्यान में हम उसको अपने सम्मुख पाते हैं, उसने हमें गुणात्मक रूप से अपने समान बनाया है. 

6 comments:

  1. आपने सही कहा,,,,
    तुलसी ममता राम से समता सब संसार ! इस जगत में सम भाव से रहना आ जाये तो राग, द्वेष आदि दुखद विकार मन से नष्ट हो जाते हैं.,,,
    RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,

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  2. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार२१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/2012/08/977.html पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है

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  3. भगवद् चिंतन अंत करण की शुद्धि है,

    सद विचार

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  4. तुलसी ममता राम से समता सब संसार !
    अनुकरणीय ,श्रेष्ट विचार ..कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    सोमवार, 20 अगस्त 2012
    सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक

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  5. बहुत सुन्दर बोल हैं आपके ...

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  6. धीरेन्द्र जी,देवेन्द्र जी, राजेश कुमारी जी, रमाकांत जी, वीरेंद्र जी व दिगम्बर जी आप सभी का स्वागत व बहुत बहुत आभार !

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