१५ जून २०१७
परमात्मा से हमारा मिलन क्यों नहीं होता, इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी नकारात्मकता.
परमात्मा सकारात्मकता का पुंज है. जैसे प्रकाश का अँधेरे से मिलन नहीं हो सकता
वैसे ही परमात्मा का द्वेषपूर्ण मन से मिलन नहीं हो सकता. रेत और चीनी के कण कभी
नहीं मिलते, मगर जल और चीनी मिल सकते हैं, ऐसे ही आत्मा व परमात्मा मिल सकते हैं, मन
और परमात्मा नहीं. मन आत्मा के सागर पर उठी लहरों का ही नाम है, कुछ पल के लिए मन
यदि शांत हो जाये तो परमात्मा की शांति का अनुभव हमें होता है. ध्यान, साधना के
द्वारा जब हम मन को नकारात्मकता से मुक्त करते हैं, हमारे भीतर परमात्मा का सूर्य
जगमगाने लगता है.
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