13 jun 2017
भगवद गीता पूजा की पोथी नहीं है, ग्रंथालय
की शोभा नहीं है. भगवान का गीत है, ब्रह्म और जीव का अद्भुत संवाद है. ज्ञान रूपी
अनंत अलौकिक खजाना है. निज स्वरूप में अवस्थित होकर जीवन जीने की कला है. चैतन्य
का बहता हुआ झरना है यह, शब्दों के जंजाल से मुक्त होकर यदि कोई इस प्रवाह का
अनुभव कर सके तो वह चैतन्य के साथ एकत्व का अनुभव कर सकता है. हजारों वर्ष पूर्व
यह ज्ञान कृष्ण ने अर्जुन को दिया था पर यह नित नवीन है. सदियाँ बीत जाती हैं पर
ज्ञान नहीं बदलता. यह मोक्ष शास्त्र है.
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