११ मार्च २०१८
हम जीवन से प्रेम करते हैं पर मृत्यु से डरते हैं. यह जानते
हुए भी कि एक दिन यह देह छूटने वाली है, मृत्यु के बारे में जानना तो दूर सोचना भी
नहीं चाहते. सुकरात को जब जहर दिया गया तो उसने अपने साथियों से कहा, मृत्यु कैसे
आती है मैं अपने अनुभव से तुम्हें बताता हूँ, इसे लिख लो. जीवन रहते जो स्वयं से
परिचित हो जाता है, उसे कैसा भय, और स्वयं के सच्चे स्वरूप से परिचित न भी हो तब
भी जो घटना निश्चित ही घटने वाली है, उससे परिचित होने में हमें क्यों देर करनी
चाहिए. किसी की मृत्यु अचानक आती है, उसे सोचने का भी समय नहीं मिलता, कोई लम्बी
या छोटी बीमारी के कारण देह त्यागता है. दोनों ही स्थितियों में यदि मरने वाला
पहले से ही मृत्यु के लिए तैयार हो तो उसका और उसके सम्बन्धियों का दुःख-दर्द काफी
कम हो जायेगा. देखा जाये तो हर घड़ी हम अंत की और बढ़ ही रहे हैं, देर-सवेर वह अंतिम
घड़ी आने ही वाली है. शास्त्रों के द्वारा हो या चिकित्सा विज्ञान के द्वारा किसी
भी भांति हमें जीवन रूपी सिक्के के दूसरे पहलू को भी देख लेना होगा.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शिवम जी !
Deleteबहुत बहुत आभार पम्मी जी ! फरवरी तो कब का बीत गया..१४ मार्च को..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteमार्च sorry
ReplyDeleteसच ही है, जीवन को भरपूर जीने वाला मौत के स्वागत के लिए भी तैयार रहता है।
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