Friday, March 9, 2018

..तेरे नाल सरोवर पानी


१० मार्च २०१८ 
बचपन से एक भिखारी की हम कहानी सुनते आ रहे हैं, जिसके मरने पर उस जगह को स्वच्छ किया गया जहाँ वह बैठा करता था. थोड़ी से खुदाई के बाद ही वहाँ एक खजाना मिला. जीवन भर वह व्यक्ति औरों से माँगता रहा, उसे ज्ञात ही नहीं था कि उसके नीचे इतना खजाना है कि वह कितनों को बाँट सकता है. हमारा मन भी ऐसा ही मंगता बना रहता है और आत्मा रूपी खजाने से वंचित रहता है. मन सदा किसी न किसी तलाश में व्यस्त रहता है, उसे सुख, यश, सम्मान, प्रेम, वैभव, शांति सब चाहिए, जिसके लिए वह अनथक प्रयत्न करता है. नाम के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, यहाँ तक कि गलत काम भी, ताकि अख़बारों में नाम तो आएगा. सद्गुरू इसी खजाने की बात सुनाते हैं. जिसमें प्रेम, शांति, आनंद, सुख, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति के बहुमूल्य रत्न हैं. जिसे पाकर जगत के सारे सुख फीके जान पड़ते हैं. जिनका अनुभव करके व्यक्ति संसार में सफल भी हो सकता है और अन्यों को भी सफलता के मार्ग पर ला सकता है.

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