८ मार्च २०१८
स्त्री और पुरुष दोनों एक-दसरे के पूरक हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं. जो
इस बात को जानते हैं, समझते हैं, वे जीवन को एक सहज आनंदित करने वाला अवसर पाते
हैं और जो इसे नहीं जानते वे जीवन को संघर्ष बना लेते हैं. प्रकृति और पुरुष के
संयोग से ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ है. शक्ति के बिना शिव कुछ भी नहीं है.
स्त्री अपने प्रेम और स्नेह के बल पर पुरुष के जीवन में सौंदर्य भर देती है और
पुरुष अपने साहस और धैर्य के बल पर उसके जीवन को सुखपूर्ण बनाता है. दोनों के
सहयोग से ही परिवार नाम की संस्था का जन्म होता है और उसकी स्नेह भरी छाया में
संतान को संस्कारित पोषण मिलता है.
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