Tuesday, March 27, 2018

एकै साधे सब सधे


२७ मार्च २०१८ 
हमारा जीवन जब तक हमारे शब्दों की गवाही न देने लगे तब तक सारे शब्द एक प्रलाप ही तो हैं. मन, वचन और कर्म जब एक हो जाते हैं तो जीवन में एक मोहक अनवरत बिखरने वाली सुगंध भर जाती है. जीवन का मर्म समझना हो तो दो-चार वाक्यों में ही समझा जा सकता है, वे वाक्य चाहे भगवद गीता के हों या महात्मा बुद्ध के, शंकर के हों या लाओत्से के. स्वंय के पार जाकर ही स्वयं को पाया जा सकता है और वहाँ जाकर पता चलता है, यहाँ दो नहीं हैं, एक ही सत्ता है. जब तक सभी के साथ एकत्व का अनुभव न हो, दूसरा दूसरा ही रहे, उहापोह बना ही रहता है. किसी ने सत्य कहा है, एकै साधे सब सधे..पतंजलि ने भी कहा है, एक तत्व का ध्यान करने से मन की समता प्राप्त होती है. वही एक हमारा ध्येय बने, आदर्श बने और प्राप्य बने, हर साधक की यही अभीप्सा होती है.

No comments:

Post a Comment