१९ मार्च २०१८
वासन्तिक नवरात्र आरम्भ हो चुके हैं. चैत्र के महीने का शुभारम्भ
अर्थात वसंत का पूर्ण आगमन. अशोक के वृक्ष लाल फूलों से लद गये हैं. प्रकृति अपने
निखार पर है. मानव कहीं इस बाहरी रूप-रंग में ही न व्यस्त हो रहे, इसलिए हमारे
पूर्वजों ने व्रत-उत्सव की सुंदर परंपरा का सृजन किया है. इन नौ दिनों में हम देवी
के नौ रूपों की उपासना करते हैं. उपासना जीवन में अनुशासन लाती है, व्रत हमारे मन
को दृढ़ता प्रदान करते हैं. स्वार्थ को भुलाकर हम परार्थ और फिर परमार्थ की ओर बढ़ना
सीखते हैं. उपासना के दौरान यदि मन केवल कर्मकांड में ही उलझ गया तो देवी की शक्ति
का जागरण होने पर भी उसका अनुभव हमें कैसे होगा. पूजा में केन्द्रित हुआ मन जब
अपने आप में ठहर जाएगा तब निज आत्मस्वरूप का दर्शन होगा और दैवीय शक्तियाँ हमारे
भीतर प्रकट होंगी.
निज आत्मा निज शक्ति का स्वरूप उपासना और आत्मज्ञान से ही उपजता है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है ...