जुलाई २००३
हम अपना कितना समय
व्यर्थ ही गंवा देते हैं, किन्तु जब तक कार्य कारण सिद्धांत के अंतर्गत रहते है,
तो हर कार्य के पीछे एक कारण होता है, उस कारण के पीछे एक और कारण. हमारा इस जगत
में होना भी तो एक कारण छिपाए है, लेकिन यह तो माया का जाल है, जो इस जाल से मुक्त
हो गया हो, उसे अपने कार्यों, विचारों और शब्दों के पीछे अज्ञात कारणों को खोजने
की आवश्यकता नहीं है. वह जो कुछ भी करता है सहज रूप से करता है, उसके पीछे कोई
प्रयोजन नहीं होता, उसके कार्य किसी कारण अथवा परिणाम से बंधे नहीं होते. वह क्षण-क्षण
जीता है. उसका पिछला जीवन एक तरह से समाप्त हो चुका होता है. अगले क्षण क्या होने
वाला है उस ज्ञात नहीं और जो क्षण बीत गया वह उसके लिये रहा नहीं, वह हर क्षण
मुक्त है, वह अपनी मौज में है. वह जीवन की असलियत को जान चुका होता है, यह सारा
माया का खेल उसके सामने स्पष्ट हो चुका होता है, अब उसे इसमें कोई रस नहीं होता.
बस उसका होना ही एक मात्र सत्य बनकर उसे दिखता है. तो क्या वह जड़ वस्तु सम है?
नहीं, वह अनुभव करता है, वह समरस है, वह अपने भीतर की दुनिया में संतुष्ट रहता है.
वह जिस भाव में रहता है उसे व्यक्त करने के लिये शब्दों में सामर्थ्य नहीं है. वह
सभी के भीतर उसी अनंत को देखता है, वह अनंत को पा चुका अब सीमित से कैसे संतुष्ट
हो सकता है पर इससे कोई अभिमान उसे नहीं होता, वह अनंत के आगे स्वयं को अणु ही
मानता है पर ऐसा अणु जो नित्य है ,शाश्वत है, पूर्ण है.
शब्दों में कहाँ बंधता है सब।
ReplyDeleteक्षण-क्षण जीना सीख लो,करो समय उपयोग
ReplyDeleteअंत समय न मिलेगा,समय का करो उपभोग,,,,
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ...: प्यार का सपना,,,,
मुक्त चित्त की दशा की स्थिति है इन भावभरे शब्दों में...संभवत: यही मनुष्य की मंजिल है...क्षण,क्षण जीना ही जीवन है.
ReplyDeleteहम अपना कितना समय व्यर्थ ही गंवा देते हैं
ReplyDeleteभाव भरे विचार
इस महा समुद्र में मैं एक बूँद भर ही तो हूँ ...एहम विसर्जन के लिए यह एहसास ज़रूरी है अच्छी पोस्ट ....कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?
इस तरह के विचार पढ़कर मन में एक संकल्प के भाव का आना स्वाभाविक है।
ReplyDeleteइमरान, धीरेन्द्र जी, मनोज भारती जी,रमाकांत जी व वीरूभाई आप सभी का स्वागत व आभार !
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