Tuesday, November 20, 2012

प्यास जगे जब उसकी भीतर


अक्टूबर २००३ 
दुखों से घबराना कैसा, वे तो नमक की तरह हैं, नमक के बिना जैसे भोजन नहीं रुचता वैसे ही जीवन में चुनौतियाँ न हों तो सुख का आनंद नहीं लिया जा सकता. लेकिन इंसान तब तक तो घबराता ही रहेगा जब तक उसे अपने भीतर सुख नहीं मिलता. जब तक वह यह नहीं जानता कि अखंड लौ की भांति ज्ञान की शिखा उसके भीतर निरंतर जलती रहती है. यह स्थिति किसी को तभी प्राप्त होती है जब सत्य को जानने की उसके भीतर ललक हो, तीव्र आकन्ठा हो, प्यास हो, जीवन के रहस्यों पर से पर्दा उठाने की इच्छा हो. तब आत्मा का सूर्य भीतर चमकता है, और तब सुख-दुःख खेल लगते हैं. ज्ञान हमारे हृदय को निर्भीक बनाता है. हमारा जीवन स्वयं द्वारा रचित है, जो कुछ हमने आजतक किया है उसी का परिणाम है आज का पल, जो हम आज करेंगे वही भविष्य बनाएगा. ज्ञानी ऐसा कुछ नहीं करता जो उसे पछताने के लिए विवश करे. वह सहज ही मुक्त रहता है क्योंकि वह अपने भीतर के आनंद से तृप्त रहता है.

4 comments:

  1. जीवन में चुनौतियाँ न हों तो सुख का आनंद नहीं लिया जा सकता.

    recent post...: अपने साये में जीने दो.

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  2. ज्ञान हमारे हृदय को निर्भीक बनाता है.....बिलकुल सत्य ।

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  3. jivan gr sangharso se bhara n ho to jivan me khoosio ka matlab hi nahi rah jayga,

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  4. धीरेन्द्र जी, इमरान व मधु जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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