अक्तूबर २००३
एक ओंकार सतनाम ! जब
चित्त शांत हो उसमें संकल्प-विकल्प की लहरें न उठ रही हों, तब एक-एक मोती को, जो
श्वास के मोती हैं, प्रभु के नाम के धागे में पिरोते-पिरोते ध्यान में डूबना है. जाग्रत,
सुषुप्ति और स्वप्न हम तीन अवस्थाओं को ही जानते हैं, चौथी का हमें पता नहीं, जो ध्यान
में घटती है, और ध्यान तभी घटता है जब मन सुमिरन में डूब जाये. जीवन की घटनाएँ उसे
छूकर निकल जाएँ, हिला न सकें. माया के आवरण से ढका जो यह जगत है वह नाम उच्चारण के
आगे टिकता नहीं. सहजता, सरलता और संतोष के आधार पर जब जीवन टिका हो तो ज्ञान,
प्रेम और शांति की दीवारों को खड़ा किया जा सकता है. नाम के जल से जो भीतरी शुद्धि होती
है वह विकारों को टिकने नहीं देती, नाम की आंधी जब भीतर के चिदाकाश में उठती है तो
बादल छंट जाते हैं, तब हम जीवन की उस उच्चता को प्राप्त करते हैं जो समता से आती
है. कोई भी भौतिक या मानसिक कृपणता तब हमें छू भी नहीं पाती, हम पूर्णकाम हो जाते
हैं. सत्य ही नाम का साध्य है और सत्य ही साधन है, हमें पूर्ण सत्यता के साथ ही
उसको जपना है. आत्मा का सूरज तब भीतर-बाहर एक सा चमकता है.
चित्त को शांत करना एक बहुत बड़ी कला है ! जिसने इस कला में महारत हासिल कर ली....उसका जीवन सफल हो जाता है...!
ReplyDeleteअच्छी रचना !
~सादर !!!
अनिता जी, हमनाम को मीता कहते हैं, सो मीता जी, स्वागत है आपका व आभार भी !
Deleteआत्मा का सूरज तब भीतर-बाहर एक सा चमकता है.
ReplyDeleteबिल्कुल सही
मन की शांती ही सफल जीवन है
ReplyDeleteRECENT POST:..........सागर
sundar abhivykti एक ओंकार सतनाम ! जब चित्त शांत हो उसमें संकल्प-विकल्प की लहरें न उठ रही हों, तब एक-एक मोती को, जो श्वास के मोती हैं, प्रभु के नाम के धागे में पिरोते-पिरोते ध्यान में डूबना है. जाग्रत, सुषुप्ति और स्वप्न हम तीन अवस्थाओं को ही जानते हैं, चौथी का हमें पता नहीं, जो ध्यान में घटती है, और ध्यान तभी घटता है जब मन सुमिरन में डूब जाये.
ReplyDeletesundar rachana -om sahnti om shanti,chanchal man par niyatran /nigrah ek mahan sadhak dwara sambhav hai
ReplyDeleteati uttam .
ReplyDeleteसदा जी, धीरेन्द्र जी, मधु जी, व वीरेंद्र जी आप सभी का स्वागत व आभार !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कथन......हमनाम को मीता कहते हैं ये हमने पहली बार जाना......अच्छा अनीता जी ये सिर्फ महिलाओं के लिए है या पुरुषों के लिए भी ।
ReplyDeleteयह सबके लिए लिए है, मीता या मीत अर्थात मित्र..
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