दिसम्बर २००४
हमारा जीवन ऊपर से चाहे जितना छोटा अथवा सामान्य दिखाई
देता हो वह भीतर से है अत्यंत विशाल, अनंत और असाधारण. वह उस परम शक्ति का ही विस्तार
है और इसके भीतर अनंत सम्भावनाएं छिपी हैं. प्रकृति के सारे रहस्य हमारे ही मन में
छिपे हैं, जब हम अन्तर्मुखी होते हैं तो एक विशाल दुनिया का दरवाजा खुल जाता है. वह
दुनिया जो बाहर की दुनिया से अलग है पर उसके विरोध में नहीं. भीतर जो सच है वह किसी
का विरोधी हो ही नहीं सकता वह परम प्रेम से उपजा है, वह शांति की सन्तान है और
शांति का ही जनक है. वह सत्य हमें मुक्त करता है. शुभ-अशुभ सारे संस्कारों से परे
ले जाता है. वह बाहरी जीवन को भी एक दिशा प्रदान करता है, वह सत्य रसपूर्ण है,
आनन्द की वर्षा करता है. सृजन के क्षणों को जन्म देता है, वह तृप्ति भी प्रदान
करता है और प्यास भी बनाये रखता है. वह विरह की पीड़ा भी है और मिलन का उल्लास भी,
वह जीवन को अर्थ प्रदान करता है. जब हम सत्य के निकट होते है, होते जाते हैं, अथवा
होना चाहते हैं तो सत्य भी हमारे निकट आना चाहता है, वह स्वयं को उसी अनुपात में
प्रकट कर देता है जिस अनुपात में हमारी चाहना होती है. जब हम असत्य के पुजारी बने
रहते हैं तो हमारी पुकार अनसुनी भी हो सकती है, पर सत्य के पुजारी की निःशब्द
पुकार भी व्यर्थ नहीं जाती, हम चाहे मौन रहें अथवा मुखर होकर पुकारें, सत्य तक
हमारी आवाज तत्क्षण पहुंचती है और हम उतना
ही उसकी निकटता का अनुभव करते हैं.
सत्य ही जीवन है तभी ... सार्थक आलेख ...
ReplyDeleteबहुत उम्दा पोस्ट ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
हमारा जीवन ऊपर से चाहे जितना छोटा अथवा सामान्य दिखाई देता हो वह भीतर से है अत्यंत विशाल, अनंत और असाधारण. वह उस परम शक्ति का ही विस्तार है
ReplyDeleteएक परम सत्य
दिगम्बर जी, धीरेन्द्र जी व रमाकांत जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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