Saturday, August 31, 2013

सहज घटे सो ही सच्चा

फरवरी २००५ 
यदि अध्यात्म का समग्र रूप हमें देखना हो तो उसमें नैतिकता, ध्यान, जीवन जीने की कला सभी कुछ आ जाते हैं. हम आध्यात्मिक हैं या नहीं इसका पता हमारे आचरण से लगता है, सच्चाई, ईमानदारी, सादा जीवन और ईश्वर पर अखंड विश्वास ये सभी हों तो हम ध्यान में प्रवेश पाते हैं. ध्यान मन के पूर्व संस्कारों को मिटाता है. जो विचार पहले कष्ट देते थे अब उनका असर नहीं होता, जो वस्तुएं पहले आकर्षक लगती थीं अब उनका कोई महत्व नहीं रह जाता, मन खाली हो जाता है तो उसमें प्रेम और शांति के फूल लगते हैं, सहज प्रसन्नता जीवन का अंग बन जाती है. मन की ख़ुशी किसी बाहरी वस्तु पर आधारित न होकर अपने ही कारण से होती है. तब यह किया, यह करना है जैसे विचार भी नहीं सताते, जो भी करना हो वह  अपने आप सहज भाव से होता है. बिना किसी प्रयास के किया गया कार्य भार नहीं होता. तब शास्त्रों के वचन सत्य घटित होते लगते हैं. परमात्मा के साथ एक्य का अनुभव होने लगता है. उन क्षणों में ही हम पूर्ण अध्यात्मिक होते हैं.

5 comments:

  1. सहज घटे सो ही सच्चा -जो अध्यात्म की तरफ बढ़ गया वह तर गया -खूब सूरत पोस्ट जीवन को दिशा देते विचार।

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  2. बिना किसी प्रयास के किया गया कार्य भार नहीं होता. तब शास्त्रों के वचन सत्य घटित होते लगते हैं. परमात्मा के साथ एक्य का अनुभव होने लगता है. उन क्षणों में ही हम पूर्ण अध्यात्मिक होते हैं

    SO NICE PEACEFUL POST

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  3. सुन्दर शाश्वत सत्य।

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  4. धीरेन्द्र जी, वीरू भाई व रमाकांत जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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