जनवरी २०१३
भय और हिंसा समानार्थी शब्द हैं, अभय और अहिंसा का एक ही अर्थ
है. यदि हमें रोग, बुढ़ापे तथा मृत्यु का भय है तो हम हिंसक हैं, किसी भी प्रकार का
तनाव हिंसा ही है, यदि हम मन को समत्व भाव स्थित नहीं रख पाते, अनुकूल परिस्थिति
में प्रसन्न तथा प्रतिकूल परिस्थिति में दुखी हो जाते हैं तो भी हम हिंसा में
विश्वास रखते हैं. अहिंसा का पालन करने वाला कभी भयभीत नहीं होता. पूर्णता में
जीना और पूर्णता में मरना उसके लिए सहज होता है.
बिल्कुल सहमत
ReplyDeleteबढिया
अभय का मतलब ही है भय की अनुपस्थिति निडर में भय तो है पर मैं डरता नहीं हूँ। निर्भय हूँ। बहुत खूब यही समत्व योग है सुख दुःख में सम भाव।
ReplyDeleteमहेंद्र जी व वीरू भाई, स्वागतम व आभार ! हमें निर्भय नहीं अभय होना है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
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