Saturday, June 10, 2017

मार्ग वही जो घर पहुँचाये

११जुन २०१७ 
जीवन हमें श्रेय और प्रेय दो मार्ग सुझाता है. पहला श्रेय मार्ग सदा ही कल्याण की ओर लेकर जाने का मार्ग है और दूसरा प्रेय मार्ग संसार के आकर्षणों का अनुभव कराते हुए सुख-दुःख के मार्ग पर भटकाने वाला है. हमारे सम्मुख अस्तित्त्व हर क्षण चुनाव का अवसर प्रस्तुत करता है. हम लगभग सदा ही प्रेय का चुनाव कर लेते हैं, यह आरम्भ में सुख देने वाला प्रतीत होता है, इसमें ज्यादा श्रम भी नहीं करना पड़ता, यह हमारी रुचियों के अनुकूल पड़ता है और हमें लगता है हम अपनी स्वतंत्र इच्छा से इस मार्ग पर चल रहे हैं. जबकि हमारे संस्कार विवश करते हैं और हम बने बनाये रास्तों पर ही चलते रहते हैं, जो बार-बार उन्हीं पर घुमाते रहते हैं, पहुंचना कहीं होता ही नहीं. दूसरी तरफ कल्याण का मार्ग आरम्भ में कष्टपूर्ण लग सकता है, इस पर प्रयास पूर्वक चलना होता है, पर अंत में यही मार्ग हमें ऐसे जीवन की ओर ले जाता है जो सहज है, आनंदपूर्ण है और जिसको पाने के लिए संत सदा से कहते आये हैं.  

2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व बालश्रम निषेध दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !

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