Monday, September 3, 2018

एक हुआ जो सारे जग से


४ सितम्बर २०१८ 
हम आज जो भी हैं, इसका चुनाव हमने ही किया है. हम कल क्या हों, इसका चुनाव अब हमें करना है. पूर्वाग्रहों, मान्यताओं और आदतों के अनुसार ही जीवन चलता रहा तो भविष्य का अनुमान लगाना जरा भी कठिन नहीं, हम वही होंगे जो आज हैं. जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने का यदि मन बना लिया और स्वयं को उसमें बाधा न बनने दिया तो भविष्य बिलकुल नया होगा. जीवन बढ़ने और चलने का नाम है, यह वाक्य सुनने में कितना भला लगता है, कदम-कदम आगे बढ़ते जाने से एक दिन हम स्वयं को बिलकुल बदला हुआ पायेंगे. योग साधना का यही लक्ष्य है, सर्व दुखों से मुक्ति का नाम ही योग है. अस्तित्त्व के साथ एक्य ही योग है. योग के आठ अंगों में से एक को जो साध लेता है, वह मंजिल की ओर चल पड़ता है. पांच यमों और पांच नियमों में से एक-एक की भी साधना यदि कोई करता है तो अन्य भी सधने लगते हैं.

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