६ सितम्बर २०१८
यम और नियम योग का आधार हैं. योग का अर्थ है जुड़ना, जुड़ने के
लिए दो की आवश्यकता है, जुड़ने के बाद भले ही वे दो न रहकर एक हो जाएँ. जैसे दूध और
पानी का योग होने के बाद उन्हें अलग-अलग देखना सम्भव नहीं, हाँ किसी उपाय के
द्वारा उन्हें अलग अवश्य किया जा सकता है. मन का योग होने का अर्थ है उसके सभी
विचार जुड़ जाएँ, अनेक की जगह एक ही विचार शेष रहे, तो मन योगयुक्त हुआ मान सकते
हैं. बुद्धि योग का अर्थ हुआ जब बुद्धि एक ही निर्णय दे, संकल्प के विपरीत कोई
विकल्प न उठाये. अत्मयोग का अर्थ हुआ जब ‘स्वयं’ मात्र शेष रहे, केवल एक उपस्थिति
मात्र, एक शांतिपूर्ण अवस्था, जिसमें कोई संकल्प भी न उठे. परमात्मा योग का अर्थ
हुआ जब स्वयं का भी भान न रहे, उस अवस्था को संतों ने अवर्णनीय कहा है, क्योंकि
उसमें न कोई देखने वाला है न अनुभव करने वाला. आमतौर पर योग का अर्थ हम आसन और
प्राणायाम से ही लगाते हैं, ये दोनों योग के पथ पर चलने के साधन हैं.
सोचते रह जाते हैं बस चल ही नहीं पाते हैं।
ReplyDeleteचिन्तन चलता रहे तो एक दिन पथ भी मिल जाता है, स्वागत व आभार !
ReplyDelete