Sunday, September 16, 2018

स्वयं से मिलना होगा जब

१६ सितम्बर 2018
अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए जो सबसे पहली पात्रता है, वह है स्वयं का ज्ञान. अध्यात्म शब्द का अर्थ है-आत्म संबंधी. स्वयं को जानने के लिए पहले हमें अपने सम्पूर्ण अस्तित्त्व - शरीर, प्राण, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार व आत्मा, हरेक का ज्ञान करना होगा. इसमें प्रथम यानि देह स्थूल है और शेष सभी सूक्ष्म. आत्मा इन सबको प्रकाशित करता है, अर्थात जिसके होने से ही देह आदि का अस्तित्त्व है. हमारा जीवन यदि देह तक ही सीमित है, अर्थात देह को स्वस्थ रखना, उसे आराम देना, सजाना-संवारना ही यदि हमारे लिए प्रमुख है तो हम अध्यात्म से बहुत दूर हैं. यदि हम मानसिक चिन्तन मनन अधिक करते हैं, साहित्य, कला आदि में हमारी रूचि है, या हम मनोरंजन के लिए लालायित रहते हैं तो भी हम अभी अध्यात्म से दूर हैं. बौद्धिक चिंतन भी हमें आत्मज्ञानी नहीं बनाता. इसके लिए तो इन छह स्तरों को पार करके स्वयं के होने का अनुभव करना होगा. स्वयं की सत्ता को जिसने जान लिया उसने अध्यात्म के पथ पर कदम रख दिया. अब धीरे-धीरे मन के संस्कारों का दर्शन आरम्भ होगा, तत्पश्चात उसका शुद्धिकरण आरंभ होगा.

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