Wednesday, June 24, 2015

मन हो अपना सहज सुराजी

अप्रैल २०१० 
जहाँ राजा विवेकवान है, सचिव सत्यवान है, रानी श्रद्धा से भरी नारी है, सेनापति वैराग्ययुक्त है , वहीं सुराज होता है. हमारे मन का राज्य भी तभी सुराज होगा जब इस पर विवेक का शासन होगा, श्रद्धा हमारी प्रिया होगी, सत्य सलाहकार होगा और वैराग्य रक्षक होगा.   

2 comments:

  1. मन है कि मानता नहीं । क्या करें अनिता जी ?

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  2. कोई बात नहीं...परमात्मा बेशर्त हर क्षण हमारे साथ है..

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